깨어나라, 봄 / 천숙녀 툭 툭 건드려줘 지휘봉 휘둘러 봐 풀잎처럼 일어나서 가슴 활활 데워줘요 스르르 쇠마저 녹을 용광로 불덩이로 |
시조
2022.03.18 10:04
깨어나라, 봄 / 천숙녀
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번호 | 분류 | 제목 | 글쓴이 | 날짜 | 조회 수 |
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151 | 신 내리는 날 | 성백군 | 2005.12.07 | 219 | |
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149 | 준비 | 김사빈 | 2005.12.05 | 277 | |
148 | 12월, 우리는 / 임영준 | 뉴요커 | 2005.12.05 | 214 | |
147 | 하소연 | 유성룡 | 2005.11.27 | 217 | |
146 | 여고행(旅苦行) | 유성룡 | 2005.11.26 | 434 | |
145 | 옛날에 금잔디 | 서 량 | 2005.11.26 | 528 | |
144 | 자화상(自畵像) | 유성룡 | 2005.11.24 | 205 | |
143 | 칡덩쿨과 참나무 | 성백군 | 2005.11.24 | 273 | |
142 | 고향보감(故鄕寶鑑) | 유성룡 | 2005.11.23 | 182 | |
141 | 향기에게 | 유성룡 | 2005.11.21 | 158 | |
140 | 오래 생각하는 이순신 | 서 량 | 2005.11.14 | 253 | |
139 | 도마뱀 | 강민경 | 2005.11.12 | 254 | |
138 | 지역 문예지에 실린 좋은 시를 찾아서 | 이승하 | 2005.11.11 | 680 | |
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135 | 추일서정(秋日抒情) | 성백군 | 2005.10.23 | 429 | |
134 | 쌍무지개 | 강민경 | 2005.10.18 | 206 | |
133 | 펩씨와 도토리 | 김사빈 | 2005.10.18 | 298 | |
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